बारह वर्ष का यीशु मंदिर में
लुका 2 :४२-5242 जब वह बारह वर्ष का हुआ, तो वे पर्व की रीति के अनुसार यरूशलेम को गए।
43 और जब वे उन दिनों को पूरा करके लौटने लगे, तो वह लड़का यीशु यरूशलेम में रह गया; और यह उसके माता-पिता नहीं जानते थे।
44 वे यह समझकर, कि वह और यात्रियों के साथ होगा, एक दिन का पड़ाव निकल गए: और उसे अपने कुटुम्बियों और जान-पहचानों में ढूंढ़ने लगे।
45 पर जब नहीं मिला, तो ढूंढ़ते-ढूंढ़ते यरूशलेम को फिर लौट गए।
46 और तीन दिन के बाद उन्होंने उसे मन्दिर में उपदेशकों के बीच में बैठे, उन की सुनते और उन से प्रश्न करते हुए पाया।
47 और जितने उस की सुन रहे थे, वे सब उस की समझ और उसके उत्तरों से चकित थे।
48 तब वे उसे देखकर चकित हुए और उस की माता ने उस से कहा; हे पुत्र, तू ने हम से क्यों ऐसा व्यवहार किया? देख, तेरा पिता और मैं कुढ़ते हुए तुझे ढूंढ़ते थे।
49 उस ने उन से कहा; तुम मुझे क्यों ढूंढ़ते थे? क्या नहीं जानते थे, कि मुझे अपने पिता के भवन में होना अवश्य है?
50 परन्तु जो बात उस ने उन से कही, उन्होंने उसे नहीं समझा।
51 तब वह उन के साथ गया, और नासरत में आया, और उन के वश में रहा; और उस की माता ने ये सब बातें अपने मन में रखीं॥
52 और यीशु बुद्धि और डील-डौल में और परमेश्वर और मनुष्यों के अनुग्रह में बढ़ता गया॥
आज यीशु मंदिर क्यों ?
1 पापियों के उद्धार के लिये
2 व्यवस्था को पूरा करने के लिये
3 मार्गदर्शन के लिये
1 पापियों के उद्धार के लिये
Luke 5:32 मैं धमिर्यों को नहीं, परन्तु पापियों को मन फिराने के लिये बुलाने आया हूं।
2 व्यवस्था को पूरा करने के लिये
मत्ती 5:17-18 18 लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूं, क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा।
19 इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सब से छोटा कहलाएगा; परन्तु जो कोई उन का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा।
आज मंदिर मे यीशु शात्रियो से चर्चा कर रहे हे |तो यह पर एक वचन पूरा होता हे,यह दो आज्ञा एक पूरी होती हें
तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना॥
तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।
व्यवस्था कि बात आते ही मेरे मन में आया कि व्यवस्था कौनसी हें ? यह वे दस आज्ञाऐ है जो परमेश्वर ने सिनैया पर्वत पर मूसा को ,पत्थर कि पट्टी पर लिखा कर दि थी जिसे मूसा दोनों हाथों में लिये हुआ लौटा था |एक हाथ में पांच ,दुसरे हाथ पांच यही व्यवस्था हम सब के लिया है | चाहे हम कोई क्यों ना हो |हमारे लिए यही व्यवस्था हें |
यीशु ने मानुष रूप आकर इन सारी बातो पूरा किया,कि हम उसका अनुश्रण कर सके |हम व्यवस्था की बातो को पूरा करने के लिए चल सके |रोमियो की पत्रि ३ :३१ कहता हे की हम व्यवस्था के द्वारा स्थिर होते हे जब स्थिर होज़े तो चलेगे भी |
यह बात को यहोशु ने इसरयालियो को आपने जीवन के आखरी दिन मे कही थी
Book of Joshua 1:7-8 इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ हो कर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा।
8 व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा।
मेरा आज का सन्देश जवानो के लिये है |मे बताना चाहता हु, कुशल का मार्ग क्या है ?
नीतिवचन 3:1-18
1 हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना;
2 क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा।
3 कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं; वरन उन को अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदय रूपी पटिया पर लिखना।
4 और तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति बुद्धिमान होगा॥
5 तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना।
6 उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।
7 अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना।
8 ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियां पुष्ट रहेंगी।
9 अपनी संपत्ति के द्वारा और अपनी भूमि की पहिली उपज दे देकर यहोवा की प्रतिष्ठा करना;
10 इस प्रकार तेरे खत्ते भरे और पूरे रहेंगे, और तेरे रसकुण्डोंसे नया दाखमधु उमण्डता रहेगा॥
11 हे मेरे पुत्र, यहोवा की शिक्षा से मुंह न मोड़ना, और जब वह तुझे डांटे, तब तू बुरा न मानना,
12 क्योंकि यहोवा जिस से प्रेम रखता है उस को डांटता है, जैसे कि बाप उस बेटे को जिसे वह अधिक चाहता है॥
13 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे,
14 क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है।
15 वह मूंगे से अधिक अनमोल है, और जितनी वस्तुओं की तू लालसा करता है, उन में से कोई भी उसके तुल्य न ठहरेगी।
16 उसके दहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएं हाथ में धन और महिमा है।
17 उसके मार्ग मनभाऊ हैं, और उसके सब मार्ग कुशल के हैं।
18 जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उस को पकड़े रहते हैं, वह धन्य हैं॥
16 उसके दहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएं हाथ में धन और महिमा है।
1 आज्ञाओं को -अपने हृदय में रखे से
आयु में वृधि होती है ,कुशल का मार्ग तेयार होता हें |
2 - परमेश्वर का भय मानना से - चंगाई प्राप्त होती हें ,शारीर मजबूत होता हें -बुदिमान प्राप्त होती हें |
3 - बुद्धि से धन कि प्राप्ति होती हें |यानि
आज्ञाओं का पालन करो और आशीष पाओ, दोनों हाथो बटोरो लम्बी आयु के साथ धन और महिमा साथ |
मंदिर जाने के कुछ फायदे हें |
1 जब हम मंदिर जाते है ,तो प्राथना करते है, और आशीष कि खोज करते है |हम हर तरीके से परमेश्वर को आदर करते है,कि हमारी इच्छा की पुर्ति हो ,इसलिए हम अपने सिर को झुकते है |
2 परमेश्वर के पास बैठने से हम शान्ति का अनुभव करते हए और हम में पूरी ताजगी आ जाती है | कितना ही दुःख क्यों न हो,यही दिल -दिमाग आराम मिलता है |
3 यदि हम मंदिर कि बनाबट देखे इस कि छत ऊपर से निचे कि ओर होती है ,और इसी जगह पर आवाज इतनी मधुर हो जाती है कि हर एक शन्ति से सुनते है | यही शांति से पॉजिटिव एनर्जी मिलती है |
4 चर्च में हमेशा पॉजिटिव एनर्जी मिलती है,इससे ऐसा अनुभव होता है कि हमारी सफलता कि हमारे पास है |
और तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति बुद्धिमान होगा॥
3 मार्गदर्शन के लिये
John 14:6 यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं;
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